दुष्यंत चौटाला के बबली दांव से टोहाना सीट पर बीजेपी व कांग्रेस का चुनावी गणित बिगड़ा
सत्यखबर जाखल, (दीपक कुमार) – कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर छिड़ी जंग से अपनों की बगावत से कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश की टोहाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से बागी हुए वरिष्ठ नेता देवेंद्र बबली अब कांग्रेस की राह में ही पत्थर बन गए हैं। कांग्रेस में टिकट कटने के बाद उन्होंने अब जेजेपी की चाबी पकड़ ली है। साथ ही टोहाना से जजपा के प्रत्याशी के रूप में वह चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाइश करेंगे। इसे लेकर थोड़ा समय पहले तक चुनावी दौड़ में पिछड़ती नज़र आ रही अब अचानक से कड़े मुकाबले में आ गईं हैं।
इससे टोहाना सीट पर कांग्रेस के लिए जीत हासिल करना बड़ी चुनौती बन गया है। वहीं इससे भाजपा की राह भी मुश्किल हो गई है। हरियाणा में 75 पार का नारा बुलंद कर रहीं भाजपा को अब टोहाना का किला बचाने को ही हाथों पैरों की पड़ गईं हैं। यहां से भाजपा हरियाणा के सिरमौर सुभाष बराला के सामने ही जननायक जनता पार्टी के सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने ऐसा दांव खेला कि उन्हें मुकाबले में बने रहने को लेकर ही पसीने छूटने लगें हैं। टोहाना से भाजपा प्रत्याशी सुभाष बराला के सामने जेजेपी के उम्मीदवार देवेंद्र बबली चुनावी मैदान में है। इस सीट से जेजेपी ने बराला के खिलाफ अपने पूर्व संभावित उम्मीदवार निशान सिंह की जगह कांग्रेस से बागी हुए देवेंद्र बबली को नामांकन के आखिरी दिन की पूर्व रात्रि अचानक अपना प्रत्याशी घोषित कर शुक्रवार को पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में पर्चा भी दाखिल करा दिया है। इसे लेकर टोहाना में जीत का अंतर बढ़ा रही बीजेपी को अब खेल बिगड़ता नजर आ रहा है।
क्योंकि टोहाना विधानसभा क्षेत्र से देवेंद्र बबली की बढ़ती लोकप्रियता के साथ ही टोहाना जेजेपी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह का गृह क्षेत्र होने का भरपूर फायदा बबली को मिलेगा। इन समीकरणों से फिलहाल की स्थिति में जेजेपी यहां से पूरी तरह से मजबूत नज़र आ रहीं है। कुछ दिन पहले तक टोहाना से देवेंद्र बबली के कांग्रेस के सिंबल पर भाजपा प्रत्याशी सुभाष बराला के सामने चुनाव लड़ने की चर्चा खूब जोरों शोरों से रही। परंतु कांग्रेस ने एन मौके पर बुधवार देर रात्रि बबली की जगह परमवीर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। जिससे एकबारगी तो टोहाना का चुनावी माहौल जैसे थम सा गया था। जनता को लगने लगा कि अब बराला का पलड़ा भारी हो गया।
लेकिन जैसे ही नामांकन के आखिरी दिन की पूर्व रात्रि देवेंद्र बबली ने स्वयं की नई मंजिल के रास्ते का ताला जेजेपी की चाबी से खोलकर आगे की ओर कदम बढ़ाए तो इससे भाजपा व कांग्रेस का चुनावी गणित बिगड़ गया है। जेजेपी सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला जो पहले से चाहते थे कि टोहाना से देवेंद्र बबली जजपा से चुनावी दंगल में उतरे तो इसमें अंतत वह कामयाब रहे। गत रात्रि देवेंद्र बबली जेजेपी के सिंबल पर चुनावी दंगल में उतरने को तैयार हो गए। जेजेपी से उन्होंने अपना नामांकन शुक्रवार को दाखिल किया है। इससे एकबार शांत अवस्था में हुए चुनाव में अब ज्वारभाटा आ गया है।
जेजेपी के मास्टर स्ट्रोक से टोहाना बनी हॉट सीट
देवेंद्र बबली की जेजेपी से नई राजनीतिक पारी से अब टोहाना हॉट सीट बन गईं हैं। वैसे तो इस सीट पर हरबार विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर ही होती है। परंतु इसबार बदले राजनीतिक समीकरणों से मुकाबला और जबरदस्त हो गया है। गत विधानसभा चुनाव 2014 में यहां से बीजेपी व लोकदल के बीच जबरदस्त टक्कर हुई थी। जबकि मोदी लहर के चलते भाजपा प्रत्याशी सुभाष बराला पहली बार जीत हासिल करने में सफल हुए थे। तब के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी परमवीर सिंह चौथे नंबर पर सिमट कर रह गए थे। जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे देवेंद्र बबली कड़ी टक्कर देते हुए तृतीय स्थान पर रहे थे। परंतु इस बार समीकरण बदल गए हैं।
गत चुनाव में यहां से इनेलो प्रत्याशी निशान सिंह द्वितीय नंबर पर थे। परंतु पिछले दिनों इनेलो में हुई परिवारिक कलह के चलते इनेलो का वजूद काफी कम हुआ है। ऐसे में अब इनेलो का इस प्रकार से टक्कर देना असंभव है। परंतु तब इनेलो प्रत्याशी रहे निशान सिंह वर्तमान में जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। जिनका स्वयं का टोहाना क्षेत्र में अच्छा खासा जनाधार कायम है। क्योंकि निशान टोहाना से निरंतर चार बार चुनाव लड़ कड़ी टक्कर देते रहें है। यहां तक कि वर्ष 2000 में वह इनेलो के सिंबल पर चुनाव जीतकर विधायक भी रहे है। अब इस चुनाव में निशान अपनी पार्टी के प्रत्याशी देवेंद्र बबली के लिए चुनाव प्रचार में दिनरात एक कर माहौल उनके पक्ष में बनाने का प्रयास करेंगे। इससे एकबारगी यहां से जेजेपी प्रत्याशी देवेंद्र बबली मजबूत स्थिति में नज़र आ रहे हैं। बीजेपी ने फिर से यहां से अपना उम्मीदवार सुभाष बराला को घोषित किया है।
वहीं कांग्रेस ने भी अपने पुराने प्रत्याशी पर ही भरोसा जताया गया है। जबकि गत चुनाव में निर्दलीय लड़ने वाले देवेंद्र बबली इसबार जेजेपी के सिंबल पर मैदान में है। अर्थात प्रमुख दलों के यह तीनों नेता एक बार फ़िर आमने सामने है। जबकि इनेलो द्वारा अभीतक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। ऐसे में इस बार यहां से मुकाबला पहले की अपेक्षा अधिक रोमांचक होने के आसार है। हालांकि गत चुनाव में निर्दलीय लड़े देवेंद्र बबली विजेता भाजपा प्रत्याशी सुभाष बराला से करीबन 11 हज़ार मतों से पिछड़ गए थे। मगर इसबार बबली का जेजेपी के सिंबल से लड़ना उनके लिए सोने पे सुहागा है। क्योंकि जेजेपी पार्टी की वोट एवं पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व विधायक निशान सिंह की साफ छवि और क्षेत्र में उनका अच्छा खासा जनाधार के साथ ही बबली का स्वयं का बड़ा वोट बैंक उनकी मजबूती का कारण है।
यह है बबली की मजबूती का कारण
टोहाना जेजेपी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह का गृहक्षेत्र है। निशान की साफ छवि से उनका क्षेत्र में अच्छा खासा जनाधार है। साथ ही बबली का स्वयं का भी क्षेत्र में बड़ा वोट बैंक जीवित है। यहां से बबली अपने पर्सनली रसूख से लोकप्रियता जुटा रहे हैं। क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय होने के साथ ही जमीनी स्तर पर काफी कार्य कर चुके बबली वर्तमान में समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके है। बबली का सबसे प्लस पॉइंट यह भी है कि उनके कार्यकर्ताओं की फौज बेहद मुखर है, जो अपने नेता की मजबूती को लेकर दिन- रात एक कर कार्य में जुटी हैं। इससे यदि प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह के समर्पित नेतृत्व से वह चुनावी बेडी पार कर जाए तो कोई अचरज की बात नहीं।